बरेली जिला एक अनोखा शहर, जो उत्तर प्रदेश का एक मात्र... है। History_Of_The_Bareilly_City
भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थित बरेली जनपद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के बीचों-बीच स्थित है।
प्राचीन काल से इसे बोलचाल में बांस बरेली का नाम दिया जाता रहा और अब यह बरेली के नाम से ही पहचाना जाता है। यह उत्तर प्रदेश में आठवां सबसे बड़ा नगर और भारत का 50वां सबसे बड़ा शहर है। बरेली उत्तराखंड राज्य से सटा जनपद है। इसकी बहेड़ी तहसील उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर की सीमा के निकट है।रामगंगा नदी के तट पर बसा यह शहर प्राचीन रुहेलखंड का राजधानी मुख्यालय रहा है। आज भी बरेली को रुहेलखंड का मुख्यालय ही माना जाता है।महाभारत काल में बरेली जनपद की तहसील आंवला का हिस्सा पांचाल क्षेत्र हुआ करता था।
बरेली जिला एक अनोखा शहर, जो उत्तर प्रदेश का एक मात्र... है। History_Of_The_Bareilly_City
ऐसे में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व भी है। धार्मिक महत्व के चलते बरेली का खास स्थान है।
नाथ सम्प्रदाय के प्राचीन मंदिरों से आच्छादित होने के कारण बरेली को नाथ नगरी भी कहा जाता है। शहर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत स्थापित है,जो सुन्नी बरेलवी मुसलमानों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।इसलिए बरेली को "बरेली शरीफ"/शहर ए आला हज़रत भी कहते हैं।
राधेश्याम रामायण के प्रसिद्ध रचयिता पंडित राधेश्याम शर्मा कथावाचक इसी शहर के थे।
मठ तुलसी स्थल भी इसी शहर में है।
देश-प्रदेश के प्राचीन और प्रमुख महाविद्यालयों में शुमार बरेली कॉलेज का भी ऐतिहासिक महत्व है।
देश के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान और भारतीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इस शहर के इज्जतनगर में बड़े कैंपस में स्थापित हैं।
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बॉलीवुड फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री प्रियंका चौपड़ा और पर्दे की कलाकर दिशा पाटनी बरेली से ही हैं।
चंदा मामा दूर के...जैसी बाल कविता के रचयिता साहित्यकार निरंकार देव सेवक भी बरेली के ही थे।
बरेली में नगर निगम स्थापित है। जो की 5 लाख जनसंख्या से अधिक होने पर स्थापित कर दिया जाता है।
धर्म महत्व
58.58 % अनुयायियों के साथ हिन्दू धर्म बरेली शहर में बहुसंख्यक धर्म है। इस्लाम धर्म शहर में दूसरा सबसे लोकप्रिय धर्म है, जिसके लगभग 38.80 % अनुयायी हैं। बरेली में, ईसाई धर्म ०.78 % , जैन धर्म ०.05 % , सिख धर्म ०.90 % और बौद्ध धर्म ०.90 % लोगों द्वारा पालन किया जाता है।
नगर में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाएँ हिन्दी तथा उर्दू हैं, जो कि उत्तर प्रदेश राज्य की आधिकारिक भाषाएँ भी हैं। शेष भारत की ही तरह यहाँ भी अंग्रेजी भाषा अच्छी तरह बोली-समझी जाती है। नगर क्षेत्र में मुख्यतः मानक हिन्दी का ही चलन है, हालाँकि आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में खड़ीबोली तथा कुछ हद तक ब्रजभाषा का भी प्रभाव मिलता है। नगर में अन्य कम बोली जाने वाली भाषाओं में पंजाबी और कुमाऊँनी प्रमुख हैं, जो इन क्षेत्रों से आये अप्रवासी समुदायों द्वारा बोली जाती हैं।
परिवहन
बरेली नगर रेलवे तथा सड़क मार्ग द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण भागों से जुड़ा है। ये भारत की राजधानी नई दिल्ली से 265km है और उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ से 256km है। यह शहर आसपास के बड़े शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है यहां से बस व रेल से निम्न शहरों मे आसानी से पहुंचा जा सकता है जैसे दिल्ली लखनऊ कानपुर वाराणसी नोयडा गाजियाबाद अलवर जयपुर आगरा मुंबई कोलकाता पटना चेन्नई बेंगलोर हैदराबाद आदि
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बरेली में छह रेलवे स्टेशन हैं।
बरेली जंक्शन (स्टेशन कोड: बीई)
बरेली सिटी (स्टेशन कोड: बीसी)
इज्जतनगर (स्टेशन कोड: आईज़ेडएन)
बरेली कैंट (स्टेशन कोड: सीएचटीआई)
रामगंगा (स्टेशन कोड: आरजीबी)
सी॰ बी॰ गंज (स्टेशन कोड: सीबीजे)
इसके अतिरिक्त दो बस स्टैंड भी हैं।
सैटेलाइट बस स्टैंड
रोडवेज बस स्टैंड
वायु मार्ग
बरेली में स्थित त्रिशूल वायुसेना बेस नामक विमानक्षेत्र वास्तव में भारतीय वायु सेना द्वारा नियंत्रित एक सैन्य हवाई अड्डा है।
इस विमानक्षेत्र का एक सिविल एन्क्लेव पीलीभीत बाय-पास रोड पर मयूर वन चेतना केंद्र के पास बनाया गया है, जहाँ से केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत लखनऊ और दिल्ली व [मुंबई] और बेंगलुरु के लिए उड़ानों का संचालन होता है।
पर्व/ त्यौहार
बरेली में लगने वाले प्रमुख मेलों में रामगंगा का चौबारी मेला, बरेली क्लब में लगने वाला उत्तरायणी मेला, नरियावल का मेला और कैण्ट का दशहरा मेला इत्यादि प्रमुख हैं। चौबारी मेला प्रतिवर्ष चौबारी ग्राम के समीप रामगंगा तट पर लगता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा-स्नान के अवसर पर लगता है। इस मेले का सबसे बड़ा आकर्षण नखाड़ घोड़ो का बाजार होता है, जिसमें दूर-दराज के क्षेत्रों से लोग अपने घोड़ों का सौदा करने और खरीदने आते हैं।[41] तीन दिवसीय उत्तरायणी मेला भी प्रतिवर्ष बरेली क्लब मैदान में 'उत्तरायणी जनकल्याण समिति' द्वारा आयोजित किया जाता है। मेला १३ से १५ जनवरी तक मकर संक्रान्ति के अवसर पर लगता है। मेले का मुख्य आकर्षण यहाँ कुमाऊँनी तथा गढ़वाली भाषा में होने वाले सांस्कृतिक आयोजन हैं, जिनमें पहाड़ी क्षेत्र के कई प्रमुख कलाकार प्रदर्शन देते हैं।
चौबारी मेले के बाद नगर का दूसरा सबसे बड़ा मेला नरियावल स्थित माता शीतला के मंदिर परिसर में गुप्त नवरात्र के अवसर पर लगता है। यह मेला लगभग १५ दिनों तक चलता है, जिसमें आस पास के गांवों के ग्रामीणों के अतिरिक्त दूर-दराज के जनपदों से भी श्रद्धालु मां के दर्शन और पूजन को आते हैं। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कुंती के साथ एक रात्रि यहां पर पहुंचे थे। उस समय गांव का नाम नरबलगढ़ था तथा नरबलि नामक एक दैत्य यहाँ निवास करता था, जो प्रतिदिन गांव से एक मानव की बलि लेता था। यह बात जब पांडवों को पता चली, तो भीम ने इसका विरोध कर दैत्य को युद्ध के लिए ललकारा, जिसने भीम की चुनौती को स्वीकार कर लिया। युद्ध से पहले भीम ने अपने भाइयों के साथ यहां माता शीतला की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया, और फिर युद्ध में नरबल को मार दिया
शिक्षा
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही, बरेली राजनीतिक जागरूकता और राजनीतिक प्रेरणा का केंद्र रहा है। नगर में ३ विश्वविद्यालय हैं: महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और इन्वर्टिस विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त मार्च २०२० में तीन अन्य संस्थानों को (सिद्घि विनायक, फ्यूचर इंस्टीट्यूट और एसआरएमएस को) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निजी विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र दिया गया,[54] जिससे यहाँ स्थित विश्वविद्यालयों की संख्या ६ हो गयी। बरेली में स्थित उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों में इज्जतनगर में स्थित भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान तथा केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान शामिल हैं। नगर में तीन निजी मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें राजश्री, एसआरएमएस और रुहेलखंड शामिल हैं। इसके अलावा गंगाशील आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज भी है, लेकिन कोई भी सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं है। बरेली में करीब दो दर्जन प्रबन्धन तथा प्रौद्योगिकी महाविद्यालय हैं। 2894 बेसिक स्कूल, 416 माध्यमिक विद्यालय, 52 सीबीएसई, 7 आईसीएससी स्कूल हैं।
1975 में स्थापित महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय नगर का एकमात्र राजकीय विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र बरेली और मुरादाबाद मंडल के नौ जिलों तक विस्तारित है; इन 9 जिलों के सभी राजकीय महाविद्यालय इसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं।
बरेली कॉलेज नगर का सबसे पुराना महाविद्यालय है। 1837 में स्थापित इस महाविद्यालय को 1850 में राजकीय महाविद्यालय का दर्जा दिया गया था। अपनी स्थापना के समय यह कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था, बाद में आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो गया। वर्तमान काल में यह रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से सम्बद्ध है।
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पर्यटन
माना जाता है कि बरेली के पास स्थित प्राचीन दुर्ग नगर अहिच्छत्र में बुद्ध का आगमन हुआ था। यह जगह बरेली शहर से लगभग 40 किमी दूर स्थित है। यहीं पर एक बहुत पुराना किला भी है।
यहाँ सात नाथ मंदिर होने के कारण इसे नाथ नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
1 धोपेश्वर नाथ
यह मन्दिर सदर बाजार में स्थित बहुत खूबसूरत है एवं यह भगवान शिव को समर्पित है
2 तपेश्वरनाथ
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर रेलवे स्टेशन के नजदीक है
3 त्रवटीनाथ
देखने में बहुत खूबसूरत यह मंदिर शहर के बीचोबीच स्थित है
4 मणिनाथ
यह भी 2 किमी पर स्थित है
5 वनखण्डीनाथ
6अलखनाथ
भगवान शिव को समर्पित यह शहर का सबसे बड़ा मंदिर है इस मंदिर में कई बगीचे एवं मुख्य द्वार पर भगवान हनुमान की विशाल प्रतिमा लगी हुई है
7 पशुपति नाथ
यह है मंदिर छोटा सा परंतु देखने में बहुत खूबसूरत हैइस मंदिर की खास बात यह है कि यह बीच तालाब में बना हुआ है
बरेली में एक विश्व प्रसिद्ध दरगाह ऐ आला हजरत है जिससे इसे बरेली सरीफ के नाम से भी जाना जाता है।
दरगाह-ए-अला हज़रत अहमद रजा खान की दरगाह है
गांधी उद्यान पार्क जो की बरेली का एक सिटी पार्क है पार्क में स्थित भारत का तिरंगा झंडा जो पार्क की सुंदरता को बढ़ाता है।
पार्क में अभी हाल ही में एक भूल भुलैया बनाया गया है जो इस पार्क की सुंदरता को और भी ज्यादा बढ़ाता है।
फन सिटी पार्क जो की घूमने और मनोरंजन के लिए बहुत ही खूबसूरत और बढ़िया जगह है।
यहाँ पर भारत का सबसे बड़ा वाटर पार्क स्थित है जो लोगों को और भी ज्यादा मनमुग्ध कर देता है।
इस पार्क में सबसे सुंदर भूतिया बंगला वाटर फॉल और खूबसूरत पौधों से भरा हरा मैदान है जिससे रोज लोग यहां घूमने आते हैं।
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